जाीएसएलवी एमके-।।।
भावी प्रमोचित्र: जी.एस.एल.वी.-मार्क III
जी.एस.एल.वी. मार्क III इसरो द्वारा विकसित तीन-चरणों वाला भारी वाहक प्रमोचक राकेट है। राकेट में दो ठोस स्ट्रैप-ऑन, एक क्रोड द्रव बूस्टर और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण शामिल है।
जी.एस.एल.वी. मार्क III को भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा (जी.टी.ओ.) में 4 टन श्रेणी के उपग्रहों या निम्न भू-कक्षा (एल.ई.ओ.) में लगभग 10 टन, जोकि जी.एस.एल.वी मार्कII की क्षमता से लगभग दो गुना है, का वहन करने हेतु डिजाइन किया गया है।
जी.एस.एल.वी. मार्कIII के दो स्ट्रैप-ऑन मोटर उसके क्रोड द्रव बूस्टर के दोनों ओर स्थित होते हैं। ‘एस.200’ के रूप में निर्दिष्ट, प्रत्येक स्ट्रैप-ऑन 205 टन के सम्मिश्र ठोस नोदक का वहन करता है और उनके प्रज्वलन से राकेट उड़ान भरता है। ‘एस200’, 140 सेकंडों तक कार्य करता है। स्ट्रैप-ऑन के प्रकार्यात्मक चरण के दौरान, एल110 द्रव क्रोड बूस्टर के दो विकास द्रव इंजनों का समूह राकेट के प्रणोद के संवर्धन के लिए उड़ान भरने के पश्चात 114 सेकंड बाद प्रज्वलित होंगे। उड़ान भरने के लगभग 140 सेकेंड पर स्ट्रैप-ऑन के पृथक होने के पश्चात, ये दोनों इंजन कार्य करते रहेंगे।
एल.वी.एम.3 की प्रथम परीक्षणात्मक उड़ान, एल.वी.एम.3-एक्स/सी.ए.आर.ई. मिशन ने 18 दिसंबर, 2014 को श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी तथा उड़ान के वायुमंडलीय चरण की सफलतापूर्वक जाँच की। इसी उड़ान में कर्मीदल माड्यूल वायुमंडलीय पुनःप्रवेश परीक्षण भी पूरा किया गया था। माड्यूल ने पुनःप्रवेश किया और योजनानुसार अपने पैराशूटों का प्रस्तरण किया तथा बंगाल की खाड़ी में उतरा।
जी.एस.एल.वी. मार्क III की प्रथम विकासात्मक उड़ान, जी.एस.एल.वी. मार्क III-डी1, ने 05 जून, 2017 को एस.डी.एस.सी. शार, श्रीहरिकोटा से जीसैट-19 उपग्रह को भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा (जी.टी.ओ.) में सफलतापूर्वक स्थापित किया।
जी.एस.एल.वी. मार्क III की द्वितीय विकासात्मक उड़ान, जी.एस.एल.वी. मार्क III-डी2 ने 14 नवंबर, 2018 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, शार, श्रीहरिकोटा से उच्च क्षमता वाले संचार उपग्रह जीसैट-29 का सफलतापूर्वक प्रमोचन किया।
वाहन की विशेषताएं
ऊंचाई | : 43.43 मी. |
वाहन का व्यास | : 4.0 मी. |
ताप कवच का व्यास | : 5.0 मी. |
चरणों की संख्या | : 3 |
उत्थापन द्रव्यमान | : 640 टन |

तकनीकी विवरण

भू-स्थिर अंतरण कक्षा के लिए नीतभार : 4,000 कि.ग्रा.
एल.वी.एम.-3 4 टन श्रेणी के जीसैट उपग्रहों को भू-स्थिर अंतरण कक्षा में भेजने में सक्षम होगा।

निम्न पृथ्वी कक्षा के लिए नीतभार : 8,000 कि.ग्रा.
एल.वी.एम.3 का शक्तिशाली क्रायोजनिक चरण भारी नीतभारों को 600 कि.मी. ऊँचाई पर स्थापित करने में सक्षम होगा ।

क्रायोजनिक ऊपरी चरण : सी-25
सी.ई.20 द्वारा शक्तिपोषित सी-25 भारत का सबसे बड़ा क्रायोजनिक इंजन है, जिसे इसरो के तिरुवनंतपुरम स्थित तरल नोदन प्रणाली केन्द्र, द्वारा विकसित किया गया है ।
Cryo Stage Height | : 13.5 m |
Cryo Stage Diameter | : 4.0 m |
Engine | : CE-20 |
ईंधन | : 27 tonnes of LOX + LH2 |
Thrust | : 186 kN |

ठोस रॉकेट बूस्टर : एस-200
एल.वी.एम. 3 में दो एस-200 ठोस रॉकेट बूस्टर लगे होते हैं जो उड़ान के लिए आवश्यक प्रचंड प्रणोद उपलब्ध कराते हैं ।
बूस्टर की ऊंचाई | : 25 मी |
बूस्टर का व्यास | : 3.2 मी |
ईंधन | : 207 टन एच.टी.पी.बी. (नामीय) |
प्रणोद | : 9316 kN |
निर्वात Isp | : 274.5 से |
ज्वलन काल | : 130 से |

मुख्य (कोर) चरण : एल.110 तरल चरण
एल.110 तरल चरण दो विकास इंजनों द्वारा शक्तिपोषित होता है, जिसे तरल नोदन प्रणाली केन्द्र द्वारा विकसित किया गया ।
चरण की ऊंचाई | : 17 मी |
चरण का व्यास | : 4 मी |
इंजन | : 2 x विकास |
ईंधन | : 110 110 टन यू.डी.एम.एच. + N2O4 |
प्रणोद | : 1598 kN |
निर्वात Isp | : 293 sec |
ज्वलन काल | : 200 से |